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“सरकारी स्कूल बेहतर या प्राइवेट? आखिर दोनों में फर्क क्या?”

आखिर फर्क क्या ?

विजय खीचड़ (RAS 2010) वर्तमान में उप निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) के पद पर कार्यरत हैं। सरल शब्दों में गहरी बातें कहना इनकी खासियत है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था, समाज और बच्चों के भविष्य को लेकर विजय खीचड़ हमेशा सार्थक और जमीनी विचार रखते हैं। इनका मानना है कि शिक्षा सिर्फ स्कूल बिल्डिंग या फीस से नहीं, बल्कि सोच और नजरिये से मजबूत होती है।


✍️ विजय खीचड़ के शब्दों में

“सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों की गुणवत्ता में केवल बिल्डिंग, स्कूल बस, यूनिफॉर्म और फीस का अंतर होता है …. बहुत लोग अक्सर चर्चा करते हैं कि सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाना लिखना नहीं आता, गुणा/भाग नहीं आता…. वास्तव में महंगे से महंगे प्राईवेट स्कूल के बच्चों की भी यही स्थिति होती है… बस वो किसी को बच्चों को इस प्रकार का टेस्ट लेने के लिए घुसने नहीं देते… लोगबाग लाख रुपए सालाना फीस देने के बावजूद अलग से ट्यूशन टीचर भी रखते हैं…. बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे मार्क्स तो अब सरकारी स्कूलों के बच्चों के भी आने लगे… ये किस प्रकार आते हैं यह कोई रहस्य की बात नहीं….. बात केवल इतनी सी है कि उच्च वर्ग आपस में यह नहीं पूछता कि बच्चा कोई नौकरी लगा कि नहीं… उन्हें नौकरी की जरूरत ही नहीं होती…. जबकि माध्यम और निम्नमध्यम वर्ग में एक दूसरे से मिलते ही बच्चों के क्या करने की चर्चा सबसे पहले होती है….एक दूसरे को ऊंचा/नीचा दिखाने का यह प्रमुख हथियार होता है….. इस कारण शुरू होती है अच्छी शिक्षा की तलाश …. अच्छी स्कूल की तलाश….. और वर्तमान में अच्छा वही है जिसका प्रचार अच्छा है…. सरकारी मास्टर तो खुद का प्रचार करने की बजाय सार्वजनिक रूप से खुद की स्कूल की कमियां जनता को बताते हैं …. प्राईवेट स्कूल अपनी उपलब्धियों का प्रचार करते हैं और सरकारी स्कूल कमियों का…..बाकी बच्चों के शैक्षणिक स्तर में कोई अंतर नहीं….”

sarkari school vs private school


लेखक के बारे में कुछ और

विजय खीचड़ राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा 2010 बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास जैसे विषयों में अपनी अलग पहचान बनाई है। अपनी सादगी और जमीनी अनुभवों से वे लगातार समाज और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार साझा करते रहते हैं। उनकी बातें आज के माता-पिता और शिक्षकों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि सही मायनों में अच्छी शिक्षा क्या है और इसकी जिम्मेदारी किसकी है।


अंत में

इनके विचार हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं जो चाहता है कि सरकारी स्कूलों का गौरव फिर से लौटे और हर बच्चा सही मायने में शिक्षित हो।


📌 लेखक: विजय खीचड़ (RAS 2010)

उप निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)

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सरकारी स्कूल बेहतर हैं या प्राइवेट? आपके नजरिए में असली फर्क क्या है?
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