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MGGS महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की संख्या में होगी कमी, सरकार कर रही समीक्षा

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राजस्थान सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों (MGGS) की संख्या में कमी करने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार द्वारा गठित एक विशेष कमेटी इन स्कूलों की स्थिति की समीक्षा कर रही है। इसके तहत, स्कूलों की कार्यक्षमता, नामांकन और शैक्षणिक स्तर का विश्लेषण किया जाएगा। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि किन स्कूलों को मर्ज करना है और किन्हें बंद करना होगा।

कुछ स्कूलों का भविष्य अधर में
हालांकि सरकार का स्पष्ट कहना है कि *सभी स्कूल बंद नहीं होंगे, लेकिन कई स्कूलों को मर्ज किया जा सकता है। जिन स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है, उन्हें बंद करने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। समीक्षा में मुख्य रूप से **शून्य और कम नामांकन वाले स्कूलों*, हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के एक ही भवन में संचालित होने वाले स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी।

सीकर और बीकानेर

सीकर और बीकानेर जैसे जिलों में भी महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की स्थिति अच्छी नहीं है। *बीकानेर*, जहां माध्यमिक शिक्षा निदेशालय स्थित है, वहां भी इन स्कूलों में नामांकन और शैक्षणिक गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।

कमेटी की रिपोर्ट पर होगा निर्णय
समीक्षा के लिए गठित कमेटी जल्द ही निदेशालय से उन स्कूलों की सूची मांगेगी, जिनमें शून्य या कम नामांकन है। इसके साथ ही, हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की समीक्षा की जाएगी, जो एक ही भवन में संचालित हो रहे हैं। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इन स्कूलों पर कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा।

मर्जिंग की योजना:
इससे पहले सरकार ने कई  हिंदी मीडियम स्कूलों को मर्ज कर दिया था। उसी तर्ज पर महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को भी मर्ज करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत, छोटे और कम प्रभावी स्कूलों को बड़े और बेहतर संसाधन वाले स्कूलों के साथ जोड़ा जाएगा।

सीकर और बीकानेर की स्थिति खराब
सीकर जिले में महात्मा गांधी स्कूलों की हालत खराब बताई जा रही है। यहां कई स्कूलों में नामांकन काफी कम है। वहीं, बीकानेर, जो कि माध्यमिक शिक्षा का मुख्यालय है, वहां भी स्कूलों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा इन स्कूलों को शुरू करने का उद्देश्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो पाया है।

सरकार का उद्देश्य:
सरकार का कहना है कि स्कूलों को बंद करना अंतिम विकल्प होगा। उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर को सुधारना और संसाधनों का बेहतर उपयोग करना है। मर्जिंग के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो और संसाधनों की बर्बादी न हो।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ:
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को स्कूल बंद करने के बजाय उनकी स्थिति सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। मर्जिंग से बच्चों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ सकता है, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो सकती है। साथ ही, नामांकन बढ़ाने और शिक्षकों की कमी को दूर करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

छात्रों और अभिभावकों की चिंता:
इस फैसले से छात्रों और अभिभावकों में चिंता का माहौल है। कई अभिभावकों का कहना है कि महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूल उनके बच्चों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं, लेकिन यदि इन स्कूलों को बंद कर दिया गया तो बच्चों के लिए शिक्षा का अन्य माध्यम खोजना कठिन हो सकता है।

सरकार की अपील:
सरकार ने जनता और शिक्षकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं। कोई भी निर्णय छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा। इसके साथ ही, शिक्षा विभाग से संबंधित सभी अपडेट्स को लगातार शिक्षा विभाग की वेबसाइट (http://education.rajasthan.gov.in) और अन्य आधिकारिक पोर्टल्स पर चेक करने का आग्रह किया गया है।

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