भारत में 9 से 16 साल की लड़कियों को लगेगा कैंसर (Cancer) का टीका – जानें पूरी जानकारी!
कैंसर से बचाव के लिए भारत सरकार की नई पहल
भारत सरकार ने महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) से बचाव के लिए 9 से 16 साल की लड़कियों को HPV (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) वैक्सीन लगाने की घोषणा की है। यह वैक्सीन अगले 5-6 महीनों में उपलब्ध हो जाएगी और मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।
महत्वपूर्ण बातें:
- टीकाकरण आयु सीमा: 9 से 16 वर्ष की लड़कियाँ
- लक्षित कैंसर: सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओरल (मुख) कैंसर
- परियोजना: मिशन इंद्रधनुष के तहत निःशुल्क टीकाकरण
- कब से शुरू होगा?: आगामी 5-6 महीनों में
- कहाँ मिलेगा?: सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में
- सरकार का लक्ष्य: पहले चरण में 7 करोड़ खुराकें लगाना
क्यों जरूरी है यह वैक्सीन?
भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है। यदि समय रहते HPV वैक्सीन दी जाए, तो इस घातक बीमारी से बचाव संभव है। टीकाकरण के अलावा कैंसर की जल्द पहचान के लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की नियमित स्क्रीनिंग भी की जाएगी।
सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) के लक्षण:
शुरुआती चरण में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- असामान्य योनि स्राव – दुर्गंधयुक्त या खून से मिला हुआ डिस्चार्ज
- मासिक धर्म में अनियमितता – पीरियड्स के बीच में या रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद रक्तस्राव
- संभोग के दौरान या बाद में रक्तस्राव
- श्रोणि (पेल्विक) या पेट के निचले हिस्से में दर्द
- पेशाब करते समय दर्द या जलन
- थकान, वजन घटना और भूख न लगना
- टांगों में सूजन – कैंसर बढ़ने पर आसपास की नसों को प्रभावित कर सकता है
- पीठ या पैर में लगातार दर्द
अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। जल्दी पहचान होने पर इलाज संभव होता है।
लड़कियों के लिए कैंसर से बचाव के टिप्स
सिर्फ टीकाकरण ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली भी कैंसर से बचने में मदद कर सकती है।
क्या खाएं? ✅
✔ हरी सब्जियां और फल (पालक, ब्रोकली, गाजर, सेब, संतरा)
✔ फाइबर युक्त आहार (ओट्स, साबुत अनाज)
✔ हल्दी और लहसुन (प्राकृतिक एंटी-कैंसर गुण)
✔ पर्याप्त पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें
✔ नट्स और बीज (बादाम, अखरोट, अलसी)
क्या न खाएं? ❌
❌ जंक फूड और पैकेज्ड फूड
❌ बहुत अधिक शक्कर और कोल्ड ड्रिंक्स
❌ तली-भुनी चीजें
❌ शराब और धूम्रपान से बचें
लड़कियों के लिए विशेष ALERT SMS:
💡 “स्वस्थ जीवन, कैंसर से बचाव!” 💡
📢 9 से 16 साल की लड़कियों के लिए HPV वैक्सीन उपलब्ध!
🚀 समय पर टीका लगवाएं और कैंसर से बचें!
🍏 अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें!
🚫 जंक फूड और तंबाकू से बचें!
✅ नियमित हेल्थ चेकअप कराएं!
📍 अधिक जानकारी के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें।
निष्कर्ष:
भारत सरकार की यह पहल महिलाओं के स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है। सभी माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी 9 से 16 साल की बेटियों को यह वैक्सीन जरूर दिलवाएं और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें।
📢 जागरूक बनें, सुरक्षित रहें और कैंसर को दूर भगाएं! 🚀
सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) क्या होता है?
सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा (cervix) में होने वाला कैंसर है। गर्भाशय ग्रीवा वह हिस्सा होता है जो गर्भाशय (uterus) को योनि (vagina) से जोड़ता है। जब इस हिस्से की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और अनियंत्रित रूप से फैलने लगती हैं, तो इसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है।
सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण
इसका सबसे बड़ा कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) का संक्रमण है। HPV एक प्रकार का वायरस है जो मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध के जरिए फैलता है। कुछ हाई-रिस्क प्रकार के HPV वायरस शरीर में लंबे समय तक रह सकते हैं और सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के अन्य जोखिम कारक:
- असुरक्षित यौन संबंध – एक से अधिक पार्टनर होने पर HPV संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- कम उम्र में यौन संबंध – बहुत कम उम्र में यौन सक्रिय होने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- धूम्रपान – तंबाकू का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है।
- कमजोर इम्यून सिस्टम – अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो HPV संक्रमण से बचाव मुश्किल हो सकता है।
- लंबे समय तक ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (गर्भनिरोधक गोलियां) का उपयोग।
सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे करें?
✅ HPV वैक्सीन (टीका) लगवाएं – यह वायरस के खिलाफ सुरक्षा देता है।
✅ नियमित पैप स्मीयर टेस्ट करवाएं – यह शुरुआती स्टेज में असामान्य कोशिकाओं की पहचान करने में मदद करता है।
✅ स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – धूम्रपान से बचें और संतुलित आहार लें।
✅ सुरक्षित यौन संबंध बनाएं – कंडोम का उपयोग करें और पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखें।
अगर समय रहते इसका पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव है।