स्वतंत्रता दिवस 2025 – मंच संचालन + भाषण + कविताएं + गीत + नारे + शपथ
स्कूल/सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए तैयार-टू-रीड स्क्रिप्ट • तिरंगा-थीम • मोबाइल‑फ्रेंडली
सामग्री-सूची
जहाँ (नाम)/(समय)/(स्थान) लिखा है, वहाँ अपनी डिटेल भरें।
मंच संचालन (शुरुआत से समापन)
प्रारम्भिक स्वागत
अतिथि आमंत्रण एवं सम्मान
ध्वजारोहण
दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना
सांस्कृतिक कार्यक्रम—एंकरिंग लाइनें
बीच‑बीच के प्रेरक क्षण
भाषण (हिंदी + English)
संक्षिप्त भाषण (2 मिनट) – हिंदी
प्रिय साथियों, 15 अगस्त हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता संयोग नहीं—संकल्प और त्याग का परिणाम है। आज जब तिरंगा ऊँचा लहराता है, तो वह हमसे कर्तव्यों की माँग भी करता है—स्वच्छता, शिक्षा, अनुशासन, पर्यावरण‑संरक्षण और तकनीकी कौशल। नए भारत की पहचान केवल शब्दों में नहीं, हमारे रोज़‑मर्रा के कामों में दिखनी चाहिए। आइए संकल्प लें—ईमानदारी से पढ़ेंगे‑पढ़ाएँगे, कानून का सम्मान करेंगे, ‘मेड‑इन‑इंडिया’ को अपनाएँगे और एक‑दूसरे की मदद करेंगे। यही सच्ची देशभक्ति है। जय हिन्द!
Short Speech (1–2 min) – English
Freedom is a daily duty. Our tricolor calls us to act—with integrity, compassion, and courage. Let us build a cleaner, greener and smarter India: learn new skills, respect the law, support “Make in India,” and serve our communities. True patriotism lives in small consistent actions. Jai Hind!
विस्तृत भाषण (4–5 मिनट) – हिंदी
पूरा भाषण खोलें
आदरणीय अतिथिगण, शिक्षकगण, अभिभावक और प्रिय विद्यार्थियों—आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। 1947 की वह सुबह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता का क्षण नहीं था; वह आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना थी। आजादी के बाद से हमने लंबी यात्रा तय की है—खेतों से अंतरिक्ष तक, ब्लैकबोर्ड से स्मार्ट‑क्लास तक, डाक से डिजिटल तक।
लेकिन हर पीढ़ी का एक ‘राष्ट्र‑कार्य’ होता है। हमारी पीढ़ी का राष्ट्र‑कार्य है—गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल‑विकास, स्वच्छता, हरियाली, जिम्मेदार तकनीक, और सामाजिक समरसता। स्कूल के बच्चे हो या हम बड़ों—हर कोई अपने‑अपने स्थान से राष्ट्रनिर्माण का श्रमिक है।
आइए पाँच संकल्प लें: (1) रोज़ 10 मिनट अपने आसपास सफाई, (2) हर माह एक पेड़ और उसकी देखभाल, (3) ऑनलाइन‑ऑफलाइन दोनों जगह शिष्टाचार और सत्यनिष्ठा, (4) प्रतिदिन पढ़ाई/कौशल के लिए एक घंटा, (5) ‘वोकल फॉर लोकल’—स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता।
जब ये छोटे संकल्प मिलकर आदत बनते हैं, तभी तिरंगे के तीन रंग—साहस, शांति और समृद्धि—हमारे जीवन में रंग भरते हैं। हमें वही भारत बनाना है, जिसका सपना हमारे शहीदों ने देखा था—जहाँ अवसर समान हों, मेहनत का सम्मान हो और हर बच्चा मुस्कराकर कहे—“मुझे अपने भारत पर गर्व है।” जय हिन्द!
देशभक्ति कविताएं/शायरी – पूर्ण (ओरिजिनल)
- तिरंगे की शपथ
नील गगन में जब तुम लहरो, हम सिर झुका सलाम करें,
केसरिया साहस दे हमको, शांति की राह अपनाएँ हम;
हरियाली का वचन निभाएँ, श्रम से खेतें थाम करें,
अशोक‑चक्र की हर धड़कन, आगे बढ़ने का काम करें। - आजादी का अर्थ
आजादी केवल बोल नहीं, यह तो जीवन का अनुशासन है,
भीड़ में भी सत्य चुनना, सबसे पहला साधन है;
अधिकारों संग कर्तव्य भी, हर पल साथ चलें हमारे,
जब कर्म ही पहचान बने, तब ही भारत स्वर्णिम प्यारे। - सीमा के प्रहरी
बर्फ़िलों में सोए रहते, रेतीले तूफ़ान झेलते,
सूरज‑संग कदम बढ़ाते, छालों से भी खेलते;
हम चैन से सो पाते हैं, उनकी जाग से रात भर,
मत भूलो उन वीरों को, जिनसे रोशन है यह घर। - मिट्टी की गंध
इस मिट्टी की गंध में है, माँ के आँचल की मिठास,
खेतों की हरियाली में, मेहनत की होती आस;
जब भी दूर कहीं जाएँ हम, दिल वापस यहीं बुलाए,
“भारत, भारत” गूँज उठे, मन तिरंगे से लहराए। - नए भारत का सपना
किताबों में उजियारा हो, प्रयोगशालाएँ जगमग हों,
हर हाथ में कौशल खिले, हर गाँव में अवसर हों;
भेद मिटें, मेल बढ़े, मुस्काता हर इंसान मिले,
यही मेरा भारत हो—जो हर दिल में स्थान मिले। - विरासत
जो लिखा था रक्त से, इतिहास ने पन्नों पर,
उसे जीना है हमें, आचरण के अन्नों पर;
वचन की रक्षा कर, कर्म का दीप जलाएँ,
अपने हिस्से की भोर से, सबका दिन चमकाएँ। - नन्हे सपने
छोटी आँखों में बड़े सपने, ‘क्यों’ से आगे ‘कैसे’ तक,
गिरना‑उठना सीख के चलना, गाँव से लेकर जैसे तक;
मास्टर जी की बातों में जब, विज्ञान बोए नन्हे बीज,
कल प्रयोगशालाओं में, भारत लिखेगा नई लकीर। - हम साथ चलें
भाषा‑भूषा चाहे जो हो, दिल में भारत एक ही,
पर्व अनेक,रस एक ही, संबंधों का लेख ही;
मिलकर चलते जब सब पग, कठिन डगर भी सरल लगे,
जो ‘हम’ से ‘मैं’ बन जाए, वह जीत कहाँ, वह कल कहाँ। - कर्म की आरती
आरती शब्दों से नहीं, श्रम से हर दिन गाईए,
विद्यालय हो या दफ़्तर, ईमानदारी लाईए;
जो देश की सेवा में है, वही सच्चा उत्सव है,
हर पल ‘भारत’ सोचकर, मन में दीप जलाइए। - मेरा वचन
मैं न झूठ के पाँव पकड़ूँ, न श shortcut अपनाऊँ,
अपना काम स्वयं करूँ, नियमों को जीवन बनाऊँ;
जब कोई मदद माँगे तो, पहला हाथ मैं बढ़ाऊँ,
भारत‑माँ की शान रखूँ, इतना वचन निभाऊँ। - हरियाली का संदेश
पेड़ों से मत नाता तोड़ो, छाँव वही पहचान है,
नदियों का भी मान रखो, जीवन उनका दान है;
कल की साँसें आज बचाओ, बीज अभी से बोते चलो,<
पृथ्वी माँ की गोद हँसे, हरियाली में रोते चलो। - शौर्य
भीड़ में सच कहना कठिन, पर वीर वही कहलाता है,
जो ‘सही’ के साथ खड़ा हो, फिर चाहे जो हो जाता है;
सत्य और साहस से ही तो, भारत ऊँचा उठता है,
यही शौर्य का मूल मंत्र है—हर पल कर्म सधा रहता है। - मुस्कुराता भारत
रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, शांति—चार दिशाएँ एक साथ,
अवसर सबको, न्याय सबको—यही पथिक का सच्चा पथ;
मंदिर‑मस्जिद, गुरुद्वारे—सबके द्वार खुलें रहें,
हाथ मिलें, दिल मिलें—यही तो भारत का सृजन रहें। - तिरंगे की बात
तुम केवल कपड़ा नहीं, इतिहास का उजला पन्ना हो,
हर आँसू पोंछने वाला, हर दिल का अपना गहना हो;
हम तुमको ऊँचा रखेंगे, चाहे जो भी मौसम हो,
तुम से ही तो भारत की, दुनिया भर में पहचान हो। - प्रतिज्ञा
गलियों से लेकर कक्षा तक, मैं सेवा का नाम लिखूँ,
कूड़े को डिब्बे तक ले जाऊँ, हरियाली का काम लिखूँ;
देश के हित में जो भी सही, निडर होकर वह कर दूँ,
झूठ‑छल‑भेद से दूर, मैं सत्य की राह पर चल दूँ।
देशभक्ति गीत – ओरिजिनल बोल (स्कूल/समूह‑गान हेतु)
गीत 1: “हम भारत के बच्चे” (2–3 मिनट)
सहगान:
हम भारत के बच्चे हैं, सपना लेकर चलते हैं,
पढ़ना‑लिखना, बढ़ना‑सँवरना—मिलकर आगे बढ़ते हैं।
अंतरा 1:
केसरिया साहस दे, हर डर से हम लड़ते हैं,
शांति का संदेश लिए, मुस्कुराकर मिलते हैं;
हरियाली का मान रखे, पेड़ लगाकर पलते हैं—
हम भारत के बच्चे हैं…
अंतरा 2:
माँ‑बापू की सीख लिए, सच्चाई से चलते हैं,
गुरुजनों का मान करें, हर नियम को फलते हैं;
मिल‑बैठे जब सब साथी, तब सपने भी खिलते हैं—
हम भारत के बच्चे हैं…
गीत 2: “तिरंगे की शान” (लघु ध्वज‑गीत)
मुकड़ा:
नील गगन में झूम रहा, भारत का प्यारा ध्वज,
तीन रंग की बगिया जैसे, हर दिल में रच‑बस।
अंतरा:
साहस, शांति, समृद्धि के, देते तुम हमको पाठ,
अशोक‑चक्र की गति कहे—रुको नहीं एक क्षण मात्र।
गीत 3: “नया सवेरा” (समूह‑गान)
मुकड़ा:
आया नया सवेरा, भारत मुस्कुराए,
मेहनत, मेल, ममता से, हर घर दीप जलाए।
अंतरा:
खेतों में हरियाली, शहरों में ईमान,
पढ़ाई में लगन हो, विज्ञान में उड़ान;
बच्चों की हँसी से, आँगन खिलखिलाए—
आया नया सवेरा…
नारे / कॉल‑एंड‑रिस्पॉन्स
सामूहिक शपथ
हम, भारत के नागरिक, अपने देश की एकता, अखंडता और समृद्धि के लिए सदैव समर्पित रहेंगे। हम स्वच्छता, पर्यावरण‑संरक्षण, नियमपालन और परिश्रम को अपना कर्तव्य मानते हैं। हम ज्ञान और कौशल से स्वयं को सक्षम बनाकर नए भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे। जय हिन्द!
समापन व आभार
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